कोरोना के लिए नेजल स्प्रे वैक्सीन कारगर, इसकी एक खुराक संक्रमण रोकने में सक्षम

कोरोना के लिए नेजल स्प्रे वैक्सीन कारगर, इसकी एक खुराक संक्रमण रोकने में सक्षम

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस काफी तेजी से फैल रहा है। इस महामारी से निपटने के लिए लोग अब वैक्सीन लगवा रहे है। क्योंकि इस वायरस से बचने का एक ही तरीका है वो है जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लें। इसलिए पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन चालू है। वहीं कई लोगों को वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना संक्रमण हो जा रहा है। ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना है कि इस वैक्सीन को यदि मुंह से न देते हुए नाक से दिया जाए तो यह और भी प्रभावी साबित हो सकती है। कोरोना वैक्सीन हमारे शरीर में म्यूकोसा से प्रवेश करता है और म्यूकोसल मेमब्रेन से ही यह संक्रमण फैलना शुरु हो जाता है इसलिए नेजल वैक्सीन भविष्य में गेम चेंजर साबित हो सकती है। नीति आयोग के सदस्य एवं भारत बायोटेक के वैज्ञानिक तक ने यह बात कही है। आइए जानते हैं नेजल वैक्सीन के बारे में। 

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चार बूंद से बनेगा काम

भारत बायोटेक के एम. डी कृष्णा एल्ला बताते हैं कि पोलियो की दवा की तरह इसे केवल चार बूंद ले ना होगी। दोनों नथुनों में दो-दो बूंद डालने से काम बन जाएगा। नेजल वैक्सीन की एक खुराक लेने से भी संक्रमण को रोका जा सकता है। अभी लगने वाली वैक्सीन केवल नीचले फेफड़ों की रक्षा कर रही हैं जबकि नेजल वैक्सीन ऊपरी फेफड़ों और नाक से ही रक्षा कर सकेगी। 

क्या होती है नेजल वैक्सीन? 

नेजल वैक्सीन वे होती हैं जो व्यक्ति के शरीर में नाक के माध्यम से दी जाती हैं जिससे कि म्यूकोसील मेंब्रेन में मौजूद वायरस तक पहुंचाया जाता है। वहीं अन्य टीके जो कि इंट्रामस्क्युलर होते हैं, जिन्हें कि त्वचा या मुंह से दिया जाता है, वे इसमें कामयाब नहीं हो पाते हैं इसलिए वे शरीर के अन्य भागों पर प्रतिरक्षा के लिए निर्भर करते हैं। फिलहाल इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन लोगों को लगाई जा रही है।

175 पर जारी है ट्रायल

नेजल वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल को अप्रैल में ही मंजूरी मिल गई थी, जिसके बाद भारत बायोटेक कंपनी द्वारा बनाई गई इंट्रानेजल वैक्सीन, बीबीवी154 को पहले चरण के लिए ट्राय किया गया। 175 लोगों को तीन ग्रुप में बांटा गया जिसमें कि पहले और दूसरे ग्रुप के 70 लोगों को सिंगल डोज दिया जाएगा और 28 वें दिन प्लेसिबो दिया जाएगा। दूसरे ग्रुप को पहले और दूसरे डोज में इंट्रानेजल वैक्सीन दी जाएगी और तीसरे ग्रुप को दोनों ही डोज में प्लेसिबो या इंट्रानेजल वैक्सीन दी जाएगी। 

इंजेक्शन से वैक्सीन नहीं लगेगी

नेजल वैक्सीन के कई सारे फायदे हैं इसलिए यदि इसका ट्रायल सफल होता है तो बहुत ही अच्छी बात है। इसका स्टोरेज करना इतना मुश्किल नहीं है। इसका उत्पादन भी आसानी से किया जा सकता है। वैक्सीन को लगाने के लिए इंजेक्शन का प्रयोग नहीं करना होगा जिससे कि हेल्थवर्कर्स का काम भी आसान होगा। नाक से ही इम्यून तैयरा होने लगेगा जिससे कि सांस के माध्यम से होने वाला संक्रमण बहुत हद तक कम हो जाएगा। 

गेम चेंजर हो सकती है वैक्सीन

नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल के अनुसार यदि यह वैक्सीन सफल हो जाती है तो कोरोना बहुत जल्दी नियंत्रण में आ जाएगा। यह एक गेम चेंजर साबित हो सकती है। स्वास्थ्यकर्मियों पर भी इसके लिए निर्भर नहीं रहना होगा, उनका काम भी आसान होगा क्योंकि इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसे इंसान खुद ले सकता है। इसे इंजेक्शन से नहीं लगाना होगा। 

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